बलूचिस्तान क्षेत्र में अशांति |
चर्चा में क्यों:
- बलूचिस्तान में बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के उग्रवादियों द्वारा हाल ही में किए गए हमलों में पंजाबी लोगों को निशाना बनाया गया है, जिसके परिणामस्वरूप काफी लोग हताहत हुए हैं।
- ये हमले क्षेत्र में चल रहे जातीय तनाव और उग्रवाद को उजागर करते हैं।
- यह घटना 26 अगस्त को, बलूच राष्ट्रवादी नेता नवाब अकबर बुगती की 18वीं पुण्यतिथि पर घटी, जिनकी 2006 में पाकिस्तानी सेना द्वारा हत्या कर दी गई थी।
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बलूचिस्तान क्षेत्र :
भौगोलिक स्थिति:
- बलूचिस्तान पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी भाग, दक्षिणपूर्वी ईरान और दक्षिण-पश्चिमी अफगानिस्तान के एक छोटे हिस्से तक फैला हुआ क्षेत्र है।
- पाकिस्तान में बलूचिस्तान प्रांत देश के 44% भूमि क्षेत्र को कवर करता है, जो इसे क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बड़ा प्रांत बनाता है।
- यह क्षेत्र उत्तर में अफगानिस्तान, पश्चिम में ईरान, दक्षिण में अरब सागर और पूर्व में सिंध और पंजाब के पाकिस्तानी प्रांतों से घिरा है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- बलूचिस्तान का एक समृद्ध इतिहास है जो फ़ारसी साम्राज्य, मौर्य साम्राज्य और मुग़ल साम्राज्य सहित विभिन्न साम्राज्यों से प्रभावित है।
- स्वतंत्रता: 11 अगस्त 1947 को बलूचिस्तान को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया गया।
- पाकिस्तान में विलय: केवल 227 दिनों के स्वतंत्र अस्तित्व के बाद, मार्च 1948 में बलूचिस्तान को पाकिस्तान में जबरन विलय कर दिया गया।
जातीय संरचना:
- बलूच लोग प्रमुख जातीय समूह हैं, जो अपनी विशिष्ट भाषा (बलूची) और संस्कृति के लिए जाने जाते हैं।
- इस क्षेत्र में पश्तून और ब्राहुई की भी महत्वपूर्ण आबादी है।
बलूचिस्तान में अशांति के कारण
- बलूचिस्तान में केंद्रीय सत्ता के खिलाफ़ प्रतिरोध का एक लंबा इतिहास रहा है, जो 1948 में इस क्षेत्र के पाकिस्तान में जबरन विलय से शुरू हुआ।
- सत्ता का निरंतर केंद्रीकरण, वास्तविक संघवाद की कमी और प्रांतीय सरकारों की बार-बार बर्खास्तगी ने असंतोष को बढ़ावा दिया है।
- आर्थिक उपेक्षा: तांबा, सोना, कोयला और प्राकृतिक गैस जैसे संसाधनों से समृद्ध होने के बावजूद, बलूचिस्तान पाकिस्तान के सबसे गरीब क्षेत्रों में से एक है।
- संसाधनों के दोहन का लाभ स्थानीय आबादी तक नहीं पहुँच पाया है, जिससे आर्थिक अन्याय की भावनाएँ बढ़ रही हैं।
- बलूचिस्तान की एक अलग सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान है, जो अक्सर आत्मसात नीतियों के कारण केंद्र सरकार से टकराती रही है।
- इस क्षेत्र में पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी रणनीति के तहत जबरन गायब किए जाने, हिरासत में हत्या और फर्जी मुठभेड़ों की व्यापक रिपोर्टें देखी गई हैं।
पाकिस्तान से अलगाव की मांग
- बलूच लोगों की एक विशिष्ट संस्कृति और पहचान है, जो पाकिस्तान के बाकी हिस्सों से भिन्न है।
- बलूच लोगों का मानना है कि पाकिस्तान सरकार ने उनके साथ ऐतिहासिक रूप से भेदभाव किया है, जिससे उनके क्षेत्र में विकास की कमी हुई है।
- बलूच विद्रोही गुट लगातार पाकिस्तान से अलग होकर स्वतंत्र बलूचिस्तान राष्ट्र की मांग कर रहे हैं।
क्षेत्र में चीन की भूमिका:
- BLA बलूचिस्तान में चीनी भागीदारी का विरोध करता है, CPEC परियोजनाओं और चीनी श्रमिकों को निशाना बनाता है।
- 40 वर्षों के लिए एक चीनी फर्म को पट्टे पर दिए गए ग्वादर बंदरगाह ने संभावित सैन्यीकरण की आशंकाएँ बढ़ा दी हैं, जो स्थानीय आजीविका, विशेष रूप से मछुआरे समुदायों की आजीविका को बाधित कर सकता है।
- चीनी ट्रॉलरों की उपस्थिति ने अवैध मछली पकड़ने की चिंताओं के कारण विरोध प्रदर्शनों को भी बढ़ावा दिया है।
- CPEC से संबंधित परियोजनाओं के लिए बलूचिस्तान में गैर-स्थानीय लोगों की आमद ने जनसांख्यिकीय परिवर्तनों की आशंकाओं को जन्म दिया है, जिससे स्थानीय आबादी और भी अलग-थलग पड़ गई है।
बलूच विद्रोह और पाकिस्तानी सैन्य दमन:
ऐतिहासिक विद्रोह:
- पहला विद्रोह (1948): कलात के पाकिस्तान में जबरन विलय के बाद शुरू हुआ। प्रिंस अब्दुल करीम के नेतृत्व में।
- बाद के विद्रोह: 1958-59, 1962-63, 1973-77 और 2003 के बाद से हुए।
- सैन्य दमन: पाकिस्तानी सेना पर न्यायेतर हत्याओं, जबरन गायब किए जाने और सामूहिक गिरफ़्तारियों का आरोप लगाया गया है।
- मानवाधिकार उल्लंघन: हज़ारों बलूच कथित तौर पर मारे गए या गायब हो गए, गैर सरकारी संगठनों ने 2001-2017 के बीच लापता व्यक्तियों के 5,000 से अधिक मामलों का दस्तावेजीकरण किया।
पंजाबियों को निशाना बनाए जाने के कारण:
- राजनीति, सेना और अर्थव्यवस्था में पंजाब का वर्चस्व बलूचों के आक्रोश को बढ़ाता है।
- बलूच राष्ट्रवादियों का तर्क है कि पंजाब बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करता है, जबकि स्थानीय आबादी गरीब बनी हुई है।
हाल की घटनाएँ:
- अगस्त 2024: बलूचिस्तान के मुसाखेल जिले में BLA के उग्रवादियों ने वाहनों को रोका, 23 पंजाबी यात्रियों की पहचान की और उन्हें मार डाला।
- अप्रैल 2024: नोशकी के पास एक ऐसा ही हमला हुआ, जहाँ उग्रवादियों ने पंजाबी यात्रियों की पहचान जाँचने के बाद उन्हें मार डाला।
- अक्टूबर 2023: केच जिले में छह पंजाबी मज़दूरों को निशाना बनाकर उनकी हत्या कर दी गई, जो लक्षित जातीय हिंसा की एक और घटना है।
विद्रोही समूह:
बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA):
बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) क्या है ?
- BLA एक सशस्त्र बलूच राष्ट्रवादी संगठन है जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहा है।
- इसे पाकिस्तान द्वारा एक आतंकवादी संगठन के रूप में माना गया है और इसे 2006 में अमेरिकी सरकार ने भी आतंकवादी संगठन घोषित किया।
- समूह ने क्षेत्र में कथित शोषण और सैन्य उपस्थिति के जवाब में अपनी गतिविधियों को बढ़ा दिया है।
- स्थापना: 1970 के दशक में में हुई थी।
- आधिकारिक स्थापना 2020 में
- उद्देश्य: बलूचिस्तान की स्वतंत्रता और पाकिस्तान से अलगाव।
- स्थापना: 1970 के दशक में में हुई थी।
महत्वपूर्ण घटनाएँ:
- 2004: ग्वादर में चीनी इंजीनियरों पर हमला।
- 2018: कराची में चीनी कौंसुलेट पर हमला।
- 2021: बलूचिस्तान में सुरक्षाबलों पर कई हमले।
अन्य समूह:
बलूच रिपब्लिकन आर्मी (BRA)
बलूच रिपब्लिकन आर्मी (BRA) क्या है ?
- BRA भी बलूच राष्ट्रवादी आंदोलन का हिस्सा है और बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के लिए सशस्त्र संघर्ष कर रहा है।
- यह संगठन बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सुरक्षाबलों और अन्य सरकारी संस्थानों पर हमलों के लिए जाना जाता है।
- स्थापना: BRA एक बलूच अलगाववादी समूह है जिसकी स्थापना 2006 में हुई थी
- उद्देश्य: बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के लिए सशस्त्र संघर्ष।
महत्वपूर्ण घटनाएँ:
- 2012: डेरा बुग्ती में गैस पाइपलाइन पर हमला।
- 2020: पाकिस्तानी सेना के काफिले पर हमला जिसमें कई सैनिक मारे गए।
लश्कर-ए-बलूचिस्तान क्या है?
- यह एक अन्य बलूच राष्ट्रवादी सशस्त्र समूह है जो बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करता है।
- यह संगठन पाकिस्तान के सरकारी प्रतिष्ठानों और सुरक्षाबलों के खिलाफ हिंसक गतिविधियों में शामिल रहा है।
महत्वपूर्ण घटनाएँ:
- 2011: क्वेटा में रेलवे ट्रैक पर विस्फोट।
- 2013: बलूचिस्तान में विभिन्न स्थानों पर आतंकवादी हमले।
- CPEC का विरोध: यह समूह बलूचिस्तान में चीनी हस्तक्षेप का कड़ा विरोध करता है और चीनी कामगारों तथा CPEC से संबंधित परियोजनाओं को निशाना बनाता है, जिसे वे बलूच संसाधनों का शोषण मानते हैं।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) क्या है?परिभाषा:-
व्यापार मार्ग:-
उद्देश्य: –
मुख्य घटक बुनियादी ढांचा विकास:सड़कें और राजमार्ग:
रेलवे:-
ऊर्जा परियोजनाएँ: बिजली संयंत्र:-
नवीकरणीय ऊर्जा: –
ग्वादर बंदरगाह:-
विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ):-
दूरसंचार और आईटी:-
आईटी पार्क:- प्रौद्योगिकी क्षेत्र का समर्थन करने के लिए IT पार्कों का विकास। |
बलूचिस्तान की स्थिति का प्रभाव
सुरक्षा बलों के साथ झड़प:
- बलूचिस्तान में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के कारण सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हो रही हैं।
- इन झड़पों के परिणामस्वरूप कई लोगों की मौत हुई है, और बड़ी संख्या में लोगों को हिरासत में लिया गया है।
- हाल की रिपोर्टों के अनुसार, ग्वादर और क्वेटा जैसे प्रमुख शहरों में कई नागरिक घायल हुए हैं, और बलूच स्वतंत्रता की मांग करने वाले समूहों और सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष की घटनाएं बढ़ी हैं।
नाकेबंदी और मूल्य वृद्धि:
- सुरक्षा बलों द्वारा प्रमुख मार्गों की नाकाबंदी के कारण आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है।
उदाहरण के लिए:
- खाद्यान्न: गेहूं और चावल जैसी वस्तुओं की कीमतें 30% से अधिक बढ़ गई हैं।
- दवाइयां: दवाइयों की कीमतों में लगभग 25% की वृद्धि हुई है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
- पेट्रोल: पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 40% तक वृद्धि देखी गई है, जिससे परिवहन सेवाएं बाधित हुई हैं और अन्य वस्तुओं की आपूर्ति पर भी प्रभाव पड़ा है।
प्रमुख शहरों में स्थिति:
- ग्वादर, मस्तुंग, हुब, और क्वेटा जैसे शहरों में नाकाबंदी और सुरक्षा बलों की कार्रवाई के कारण आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता में कमी आई है।
- इस स्थिति ने स्थानीय लोगों के जीवन पर गंभीर प्रभाव डाला है, जिससे खाद्य संकट और स्वास्थ्य सेवाओं में बाधाएं उत्पन्न हुई हैं।
आगे की राह:
स्थानीय हितधारकों की भागीदारी:
- बलूचिस्तान के मुद्दों के समाधान के लिए स्थानीय हितधारकों की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है।
- इसमें स्थानीय जनजातियों, राजनीतिक प्रतिनिधियों और बलूच राष्ट्रवादियों की शामिली होनी चाहिए, ताकि उनके विचारों और चिंताओं को सुना जा सके।
- यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि सभी क्षेत्रों के लोग प्रांतीय स्वायत्तता के संदर्भ में निर्णय प्रक्रियाओं में भाग लें।
सामाजिक-आर्थिक असमानता:
- बलूचिस्तान में सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को दूर करने की आवश्यकता है।
- यह क्षेत्र पाकिस्तान के सबसे गरीब और विकासशील प्रांतों में से एक है, जहां शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे का घोर अभाव है। सरकार को इन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जैसे:
- शिक्षा: शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए व्यापक उपायों की आवश्यकता है। बलूचिस्तान में साक्षरता दर लगभग 40% है, जो देश के अन्य प्रांतों से काफी कम है।
- स्वास्थ्य सेवाएं: स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार और ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर चिकित्सा सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना आवश्यक है।
- रोज़गार के अवसर: बलूचिस्तान के युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए नए उद्योगों और परियोजनाओं में निवेश की आवश्यकता है।
राष्ट्र निर्माण और पहचान का संतुलन:
- पाकिस्तान के राष्ट्र निर्माण प्रयासों में जातीय और धार्मिक पहचानों के बीच संतुलन स्थापित करना एक बड़ी चुनौती है।
- बलूचिस्तान जैसे प्रांतों में यह संतुलन प्रांतीय स्वायत्तता और विकास नीतियों के माध्यम से लाया जा सकता है।
- केंद्रीय और प्रांतीय सरकारों के बीच शक्तियों का वितरण सुनिश्चित करने के लिए संवैधानिक सुधारों की आवश्यकता हो सकती है, ताकि स्थानीय जनता के अधिकारों और पहचान का सम्मान किया जा सके।
स्रोत – द हिंदू