माधव राष्ट्रीय उद्यान |
चर्चा में क्यों :
- मार्च 2025 में, माधव राष्ट्रीय उद्यान को भारत का 58वाँ और मध्य प्रदेश के 9वें टाइगर रिजर्व के रूप में घोषित किया गया।
माधव राष्ट्रीय उद्यान
- माधव राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित एक संरक्षित वन क्षेत्र है, जिसे 1958 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया था। यह शुष्क पर्णपाती वनस्पति और विविध वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध है
- यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत राष्ट्रीय उद्यान के रूप में संरक्षित क्षेत्र (Protected Area) का दर्जा प्राप्त क्षेत्र है, जहाँ वन्यजीवों और उनके प्राकृतिक आवासों की संरक्षा एवं संवर्धन के लिए सभी प्रकार की मानव गतिविधियों को नियंत्रित किया जाता है
स्थान और इतिहास
- माधव राष्ट्रीय उद्यान ऊपरी विंध्य पहाड़ियों का हिस्सा है और ऐतिहासिक रूप से मुगल सम्राटों और ग्वालियर के महाराजाओं के लिए शिकारगाह था।
- 1958 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया, इसका नाम महाराजा माधव राव सिंधिया के नाम पर रखा गया।
- पहले, इसे शिवपुरी राष्ट्रीय उद्यान के नाम से जाना जाता था।
क्षेत्रफल और भूगोल
- मूल रूप से 165 वर्ग किलोमीटर में फैला यह पार्क अब 354 वर्ग किलोमीटर तक फैल चुका है।
- इसमें शुष्क पर्णपाती वन, पठार, घाटियाँ और घास के मैदान शामिल हैं।
वनस्पति (वनस्पति)
- पार्क में सागवान, साल और ढोक के पेड़ों के साथ शुष्क पर्णपाती वनों का प्रभुत्व है।
- वनस्पति में शाकाहारी और मांसाहारी जानवरों की एक समृद्ध विविधता है।
जीव (वन्यजीव)
- पार्क में कई मांसाहारी और शाकाहारी जानवर रहते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- बड़ी बिल्लियाँ: बंगाल टाइगर, तेंदुआ
- शाकाहारी: चीतल, सांभर, नीलगाय, चिंकारा और चार सींग वाला मृग (चौसिंघा)
- अन्य प्रजातियाँ: जंगली सूअर, लोमड़ी, सियार, जंगली कुत्ता, साही, अजगर
जलीय जीवन और आर्द्रभूमि
- दो प्रमुख झीलें: सांख्य सागर और माधव सागर, जो पार्क के दक्षिणी भाग में स्थित हैं।
- सांख्य सागर को इसके पारिस्थितिक महत्व को पहचानते हुए 2022 में रामसर साइट के रूप में नामित किया गया था।
- पारिस्थितिकी पर्यटन गतिविधियाँ: वन्यजीव सफ़ारी, पक्षी-दर्शन और प्रकृति की सैर।
टाइगर रिजर्व क्या है?
- टाइगर रिजर्व (Tiger Reserve) उन संरक्षित क्षेत्रों को कहा जाता है, जहाँ बाघों (Tiger) और उनके प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए विशेष प्रबंधन और संरक्षण उपाय किए जाते हैं।
- यह संरक्षित क्षेत्र प्रोजेक्ट टाइगर के तहत घोषित किए जाते हैं, जिसे राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा संचालित किया जाता है।
टाइगर रिजर्व घोषित करने की प्रक्रिया :
पहचान:राज्य सरकार बाघों की महत्वपूर्ण आबादी और संरक्षण संभावनाओं वाले संभावित क्षेत्रों की पहचान करती है।
प्रस्ताव प्रस्तुत करना: राज्य सरकार NTCA को एक प्रस्ताव भेजती है, जिसमें क्षेत्र की बाघ आबादी, आवास सुविधाएँ और संरक्षण योजनाएँ जैसे विवरण शामिल होते हैं।
मूल्यांकन: NTCA की तकनीकी समिति प्रस्ताव का मूल्यांकन करती है, क्षेत्र की पारिस्थितिकी, बाघों की आबादी और संभावित मानव-बाघ संघर्ष परिदृश्यों का विश्लेषण करती है।
अनुमोदन: यदि क्षेत्र मानदंडों को पूरा करता है, तो NTCA प्रस्ताव को मंजूरी देता है।
अधिसूचना:राज्य सरकार कोर और बफर ज़ोन को निर्दिष्ट करते हुए आधिकारिक तौर पर क्षेत्र को टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित करती है।
टाइगर रिजर्व के मुख्य घटक:
कोर क्षेत्र (Core Area):
- यह क्षेत्र पूरी तरह से संरक्षित होता है, जहाँ मानव गतिविधियाँ प्रतिबंधित होती हैं।
- इसका उद्देश्य बाघों और अन्य वन्यजीवों के लिए निर्बाध आवास प्रदान करना होता है।
- यह क्षेत्र राष्ट्रीय उद्यान या वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित होता है।
बफर क्षेत्र (Buffer Area):
- यह कोर क्षेत्र के आसपास का क्षेत्र होता है, जहाँ सीमित मानव गतिविधियों की अनुमति होती है।
- इसमें ग्रामीण आजीविका और संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए प्रयास किए जाते हैं।