राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) |
चर्चा में क्यों:- हाल ही में केंद्र ने 2,481 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ देश भर में एक करोड़ किसानों के बीच प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत एक स्वतंत्र केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) की घोषणा की।
UPSC पाठ्यक्रम: प्रारंभिक परीक्षा: आर्थिक और सामाजिक विकास-सतत विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र की पहल, आदि। मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन II: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप तथा उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे। |
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) का सतत कृषि पद्धतियों और किसानों के कल्याण के साथ संरेखण
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना और किसानों के कल्याण को सुनिश्चित करना है। यह मिशन सतत कृषि पद्धतियों के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है, जो पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक स्थिरता दोनों को लक्षित करता है।
सतत कृषि पद्धतियों के साथ संरेखण
रासायनिक मुक्त खेती: NMNF का मुख्य उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को कम करना है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि: प्राकृतिक खेती के माध्यम से जैविक सामग्री का उपयोग करके मिट्टी की संरचना और उर्वरता को बढ़ावा दिया जाता है, जो दीर्घकालिक कृषि उत्पादकता के लिए आवश्यक है।
जैव विविधता का संरक्षण: प्राकृतिक खेती फसल विविधता को प्रोत्साहित करती है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बना रहता है और कीट प्रबंधन में सहायता मिलती है।
किसानों के कल्याण के साथ संरेखण
उत्पादन लागत में कमी: रासायनिक इनपुट्स पर निर्भरता कम होने से किसानों की उत्पादन लागत घटती है, जिससे उनकी शुद्ध आय में वृद्धि होती है।
स्वास्थ्य में सुधार: रासायनिक मुक्त खेती से उत्पादित खाद्य पदार्थों का उपभोग करने से किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के स्वास्थ्य में सुधार होता है।
आजीविका के नए अवसर: प्राकृतिक खेती से जुड़े उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण किसानों को नए बाजार और मूल्य वर्धित उत्पादों के माध्यम से अतिरिक्त आय के अवसर प्राप्त होते हैं।
भारत की कृषि नीति में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF ) का महत्व
भारत सरकार ने 2024 में राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन (NMNF ) को एक केंद्रीय स्वतंत्र औद्योगिक योजना के रूप में मंजूरी दी है। इस मिशन का कृषि उद्देश्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना और किसानों को रासायनिक मुक्त तकनीकों को प्रेरित करना है।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन में कृषि नीति का महत्व
सतत कृषि तकनीकों को प्रोत्साहन: NMNF का मुख्य उद्देश्य रासायनिक रसायनों का उपयोग कम करना है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह पहली बार सतत कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए है, जिसके लिए कृषि स्थिरता की आवश्यकता है।
किसानों की आय में वृद्धि: प्राकृतिक खेती के माध्यम से उत्पादन लागत में कमी आती है, जिससे किसानों की शुद्ध आय में वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त, बायोलॉजिकल प्लास्टिक की थोक मांग से किसानों को बेहतर कीमत मिलने का अनुमान है
मिट्टी की उर्वरता में सुधार: रासायनिक मुक्त खेती से मिट्टी की जैविक संरचना में सुधार होता है, जिससे मिट्टी की संरचना और गुणवत्ता में वृद्धि होती है। यह प्राथमिक चिकित्सा स्वास्थ्य को स्थापित करने में सहायक है।
पर्यावरण संरक्षण: रासायनिक पदार्थों के उपयोग से जल, वायु और भूमि प्रदूषण में कमी आती है, जिससे पर्यावरण संतुलन बना रहता है।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) का भारत में मृदा स्वास्थ्य और जैव विविधता पर संभावित प्रभाव
भारत सरकार द्वारा 2024 में शुरू किया गया राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF), रासायनिक मुक्त कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण पहल है। इस मिशन का मुख्य लक्ष्य मृदा स्वास्थ्य में सुधार और जैव विविधता का संरक्षण करना है।
मृदा स्वास्थ्य पर प्रभाव
रासायनिक उर्वरकों का निषेध: NMNF के तहत, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को कम या समाप्त किया जाता है, जिससे मृदा में हानिकारक रसायनों का संचय नहीं होता।
जैविक सामग्री का उपयोग: प्राकृतिक खेती में गोबर, कम्पोस्ट और हरी खाद जैसी जैविक सामग्रियों का उपयोग किया जाता है, जो मृदा की संरचना और उर्वरता में सुधार करते हैं।
मृदा जैव विविधता में वृद्धि: रासायनिक मुक्त खेती से मृदा में सूक्ष्मजीवों और केंचुओं की संख्या बढ़ती है, जो मृदा के पोषण चक्र को संतुलित रखते हैं।
जैव विविधता पर प्रभाव
फसल विविधता का प्रोत्साहन: NMNF के अंतर्गत, मोनोकल्चर के बजाय मिश्रित फसल प्रणाली को अपनाया जाता है, जिससे विभिन्न प्रजातियों की खेती होती है और जैव विविधता में वृद्धि होती है।
प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण: रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग में कमी से जल स्रोतों और आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे वन्यजीवों और पौधों की विविधता बनी रहती है।
पारंपरिक बीजों का उपयोग: प्राकृतिक खेती में स्थानीय और पारंपरिक बीजों का उपयोग बढ़ता है, जिससे स्थानीय प्रजातियों का संरक्षण होता है।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) की वित्तीय संरचना का समालोचनात्मक मूल्यांकन
वित्तीय संरचना
- NMNF की वित्तीय संरचना में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच साझा वित्तीय जिम्मेदारी शामिल है।
- केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं में, केंद्र सरकार कुल बजट का एक निश्चित प्रतिशत प्रदान करती है, जबकि शेष राशि राज्य सरकारों द्वारा वहन की जाती है।
- यह अनुपात सामान्यतः 60:40 होता है, हालांकि विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए यह 90:10 तक हो सकता है।
साझा वित्तीय जिम्मेदारी का प्रभाव
कार्यान्वयन में विविधता: राज्यों की वित्तीय क्षमता में अंतर के कारण, कुछ राज्य NMNF के कार्यान्वयन में अधिक प्रभावी हो सकते हैं, जबकि अन्य राज्यों में वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलन: राज्य सरकारें स्थानीय कृषि परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुसार मिशन को अनुकूलित कर सकती हैं, जिससे कार्यक्रम की प्रभावशीलता बढ़ती है।
जवाबदेही और निगरानी: राज्य सरकारों की वित्तीय भागीदारी से स्थानीय स्तर पर जवाबदेही और निगरानी में सुधार होता है, जिससे कार्यक्रम के लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता मिलती है।
चुनौतियाँ
वित्तीय असमानता: सभी राज्यों की वित्तीय स्थिति समान नहीं होती, जिससे कुछ राज्यों में मिशन के कार्यान्वयन में वित्तीय बाधाएँ आ सकती हैं।
समन्वय की कमी: केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय की कमी से कार्यक्रम के कार्यान्वयन में देरी या असंगति हो सकती है।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF): सतत विकास और जलवायु परिवर्तन शमन में भूमिका
सतत विकास में NMNF की भूमिका
रासायनिक मुक्त खेती का प्रोत्साहन: NMNF के माध्यम से रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को कम किया जाता है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि: प्राकृतिक खेती के माध्यम से जैविक सामग्री का उपयोग करके मिट्टी की संरचना और उर्वरता को बढ़ावा दिया जाता है, जो दीर्घकालिक कृषि उत्पादकता के लिए आवश्यक है।
किसानों की आय में वृद्धि: उत्पादन लागत में कमी और उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार से किसानों की शुद्ध आय में वृद्धि होती है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।
जलवायु परिवर्तन शमन में NMNF की भूमिका
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी: रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी से नाइट्रस ऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटता है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में सहायता मिलती है।
कार्बन संचयन में वृद्धि: प्राकृतिक खेती के माध्यम से मिट्टी में जैविक कार्बन की मात्रा बढ़ती है, जिससे कार्बन संचयन में सहायता मिलती है और वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा कम होती है।
जल संसाधनों का संरक्षण: प्राकृतिक खेती में जल उपयोग दक्षता बढ़ती है, जिससे जल संसाधनों का संरक्षण होता है और सूखे जैसी परिस्थितियों में कृषि की स्थिरता बनी रहती है।