अमेरिकी प्रतिबंध और भारतीय तेल आयात पर उनका प्रभाव |
चर्चा में क्यों:- रूस के तेल व्यापार पर हाल ही में लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों ने भारत के कच्चे तेल के आयात को काफी प्रभावित किया है, जिससे रूस से शिपमेंट में भारी गिरावट आई है। परिणामस्वरूप, भारत ने अपने कच्चे तेल के स्रोतों में विविधता लाना शुरू कर दिया है, कमी की भरपाई के लिए अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के छोटे आपूर्तिकर्ताओं की ओर रुख कर रहा है। यह बदलाव वैश्विक भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के जवाब में भारत की विकसित होती ऊर्जा सुरक्षा रणनीति को उजागर करता है।
अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाये जाने के कारण?
अमेरिका ने जनवरी 2025 में रूस के तेल व्यापार पर व्यापक प्रतिबंध लगाए, जिनका उद्देश्य रूस की तेल निर्यात क्षमता को सीमित करना और उसके राजस्व स्रोतों को बाधित करना था। इन प्रतिबंधों के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
1. 183 टैंकरों पर प्रतिबंध: अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने 183 तेल टैंकरों को प्रतिबंधित सूची में डाला, जो रूस के तेल निर्यात में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे।
2. रूसी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध: रूस की प्रमुख तेल कंपनियों, गज़प्रोम नेफ्ट और सर्गुटनेफ्टगास, पर भी प्रतिबंध लगाए गए, जिससे उनकी वैश्विक व्यापार गतिविधियाँ प्रभावित हुईं।
3. बीमा कंपनियों पर प्रतिबंध: रूसी ऊर्जा निर्यात में शामिल बीमा कंपनियों, जैसे इनगोसस्ट्राख और अल्फास्ट्राखोवानी, पर प्रतिबंध लगाए गए, जिससे रूसी तेल टैंकरों के बीमा और संचालन में बाधा उत्पन्न हुई।
इन प्रतिबंधों का उद्देश्य रूस की तेल निर्यात क्षमता को सीमित करना और उसके राजस्व स्रोतों को बाधित करना था, ताकि यूक्रेन युद्ध में उसकी वित्तीय क्षमता को कम किया जा सके।
रूसी तेल आयात में गिरावट
फरवरी 2024 में आयात में कमी
- कमोडिटी मार्केट एनालिटिक्स फर्म केप्लर के अनुसार, फरवरी 2024 में भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात 14.5% घटकर 1.43 मिलियन बैरल प्रति दिन (BPD) रह गया, जो जनवरी 2023 के बाद का सबसे निचला स्तर है।
- इस अवधि में, भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 38% से घटकर लगभग 30% रह गई।
आयात में गिरावट के संभावित कारण
इस गिरावट के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
- अमेरिकी प्रतिबंधों का प्रभाव: जनवरी 2024 में, अमेरिका ने रूस के तेल व्यापार पर नए प्रतिबंध लगाए, जिससे रूसी तेल की आपूर्ति प्रभावित हुई।
- वैकल्पिक स्रोतों की खोज: रूसी तेल की आपूर्ति में कमी के कारण, भारतीय रिफाइनर अब अन्य देशों से तेल आयात बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।
भारतीय तेल आयात विविधीकरण रणनीति
अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी आपूर्तिकर्ताओं का उदय
- हाल के वैश्विक घटनाक्रमों, विशेष रूप से रूस-यूक्रेन संघर्ष और उसके परिणामस्वरूप रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों, ने भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तेल आयात रणनीतियों में विविधता लाने के लिए प्रेरित किया है।
- इस संदर्भ में, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देशों से तेल आयात में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
अफ्रीकी देशों से तेल आयात में वृद्धि
- नाइजीरिया, अफ्रीका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, भारत के लिए एक प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा है।
- नाइजीरिया से भारत का द्विपक्षीय व्यापार लगभग 15 बिलियन डॉलर का है, जिसमें से एक महत्वपूर्ण हिस्सा तेल आयात का है।
- नाइजीरिया में लगभग 200 भारतीय कंपनियां सक्रिय हैं, जिन्होंने सामूहिक रूप से लगभग 27 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, जिससे यह देश भारत के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदार बन गया है।
लैटिन अमेरिकी देशों से बढ़ता सहयोग
- लैटिन अमेरिका के साथ भारत के व्यापार संबंध भी मजबूत हो रहे हैं।
- वर्ष 2023 में, लैटिन अमेरिका से भारत का आयात 22.93 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जबकि निर्यात 20.09 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जिससे कुल व्यापार मात्रा 43.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर रही।
- इस क्षेत्र के प्रमुख व्यापार साझेदारों में ब्राजील, मैक्सिको और कोलंबिया शामिल हैं।
- प्रमुख आयातों में पेट्रोलियम तेल, सोना और सोयाबीन तेल शामिल हैं।
विविधीकरण की आवश्यकता और लाभ
- रूस से तेल आयात में कमी और वैश्विक बाजार में अस्थिरता के बीच, भारत का तेल आयात विविधीकरण रणनीति अपनाना आवश्यक हो गया है।
- अफ्रीका और लैटिन अमेरिका से तेल आयात बढ़ाने से न केवल आपूर्ति श्रृंखला में स्थिरता आई है, बल्कि इन क्षेत्रों के साथ आर्थिक और राजनीतिक संबंध भी मजबूत हुए हैं।
यह बदलाव भू-राजनीतिक जोखिमों को कम करने के लिए गैर-पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं पर भारत की बढ़ती निर्भरता को दर्शाता है।
पश्चिम एशिया से तेल आयात में गिरावट
जबकि इराक भारत का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बना हुआ है, अन्य प्रमुख पश्चिम एशियाई देशों ने भारत को निर्यात में गिरावट देखी:
- सऊदी अरब: ↓ 6% से 679,372 BPD
- UAE: ↓ 22% से 342,076 BPD
- इराक: ↑ 5.5% से 1.09 मिलियन BPD
पारंपरिक ऊर्जा साझेदार होने के बावजूद, इन देशों ने रूसी तेल की कमी का पूरा लाभ नहीं उठाया है।
भारत के लिए चुनौतियाँ और अवसर
भारतीय तेल आयात विविधता लाने की चुनौतियाँ
- कीमत संवेदनशीलता: भारत को रियायती रूसी कच्चे तेल से लाभ हुआ है, जो लैटिन अमेरिकी और अफ्रीकी आपूर्तिकर्ताओं से उपलब्ध नहीं हो सकता है। नए आपूर्तिकर्ताओं से प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण इस विविधीकरण की दीर्घकालिक व्यवहार्यता निर्धारित करेगा।
- रसद और शोधन चुनौतियाँ: लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के कच्चे तेल की रासायनिक संरचना रूसी कच्चे तेल से अलग है। भारतीय रिफाइनरियों को नए तेल को प्रभावी ढंग से संसाधित करने के लिए तकनीकी समायोजन की आवश्यकता हो सकती है।
- आपूर्ति की दीर्घकालिक स्थिरता: कई अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी उत्पादकों के पास अस्थिर राजनीतिक और आर्थिक वातावरण है, जो आपूर्ति को बाधित कर सकता है।
विविधीकरण से अवसर
- किसी एक आपूर्तिकर्ता पर अत्यधिक निर्भरता कम करना:आयात स्रोतों में विविधता लाने से ऊर्जा सुरक्षा बढ़ती है, जिससे किसी एक देश पर निर्भरता कम होती है।
- नए भागीदारों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना:तेल व्यापार में वृद्धि से अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के साथ भारत के कूटनीतिक और आर्थिक संबंध बढ़ सकते हैं।
- दीर्घकालिक रणनीतिक योजना: अपने आपूर्तिकर्ता आधार का विस्तार करके, भारत भू-राजनीतिक अस्थिरता से जुड़े जोखिमों को कम करता है।
भारतीय तेल आयात रणनीति के लिए भविष्य का दृष्टिकोण
1. रूस के साथ निरंतर जुड़ाव
- प्रतिबंधों के बावजूद, भारतीय रिफाइनर और रूसी व्यापारी कच्चे तेल के व्यापार को जारी रखने के लिए वैकल्पिक उपाय खोज लेंगे।
- उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक आगे कोई व्यवधान नहीं आता, रूस भारत का शीर्ष कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बना रहेगा।
2. ट्रम्प के अधीन विकसित हो रही अमेरिकी नीति
- ट्रम्प प्रशासन का रुख अमेरिका-रूस प्रतिबंधों के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण होगा।
- यदि ट्रम्प प्रतिबंधों में ढील देते हैं, तो भारत में रूसी तेल आयात फिर से बढ़ सकता है।
- यदि प्रतिबंध सख्त बने रहते हैं, तो भारत विविधीकरण को और तेज़ कर सकता है।
3. आयात स्रोतों का विस्तार
- यदि मूल्य निर्धारण प्रतिस्पर्धी बना रहता है, तो भारतीय रिफाइनर पश्चिम एशिया से अधिक आयात की संभावनाएँ तलाश रहे हैं।
- सऊदी अरब, UAE और इराक जैसे देशों की बेहतर सौदे देने की इच्छा भारत की दीर्घकालिक तेल आयात रणनीति को प्रभावित करेगी।
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- अमेरिका ने जनवरी 2025 में रूस की प्रमुख तेल कंपनियों, गज़प्रोम नेफ्ट और सर्गुटनेफ्टगास, पर प्रतिबंध लगाए।
- अमेरिका ने जनवरी 2025 में रूस के तेल निर्यात में शामिल 183 टैंकरों पर प्रतिबंध लगाए।
- अमेरिका ने जनवरी 2025 में रूस की ऊर्जा निर्यात में शामिल बीमा कंपनियों, जैसे इनगोसस्ट्राख और अल्फास्ट्राखोवानी, पर प्रतिबंध लगाए।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3