प्रौद्योगिकी विकास निधि (TDF) |
प्रौद्योगिकी विकास निधि (TDF) क्या है ?
- प्रौद्योगिकी विकास निधि (TDF) रक्षा मंत्रालय का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत क्रियान्वित किया जाता है।
- इसका उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देना है।
- प्रौद्योगिकी विकास निधि (TDF) की शुरुआत 2016 में की गई थी।
प्रौद्योगिकी विकास निधि के मुख्य उद्देश्य
- MSME और स्टार्ट-अप सहित भारतीय उद्योगों के साथ-साथ शैक्षणिक और वैज्ञानिक संस्थानों को रक्षा और दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए अनुदान सहायता प्रदान करना, जो वर्तमान में भारतीय रक्षा उद्योग के पास उपलब्ध नहीं हैं।
- निजी उद्योगों, विशेषकर MSME और स्टार्टअप्स के साथ जुड़ना, सैन्य प्रौद्योगिकी के डिजाइन और विकास की संस्कृति लाना और उन्हें अनुदान सहायता के साथ समर्थन देना।
- देश में पहली बार विकसित की जा रही विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान, डिजाइन और विकास पर ध्यान केंद्रित करना।
- सशस्त्र बलों, अनुसंधान संगठनों, शिक्षाविदों और अर्हता/प्रमाणन एजेंसियों तथा निजी क्षेत्र की संस्थाओं के बीच सेतु का निर्माण करना।
मुख्य विशेषताएँ
- TDF कुल परियोजना लागत का 90% तक वित्त पोषण प्रदान करता है, जबकि शेष 10% उद्योग द्वारा वहन किया जाता है।
- प्रति परियोजना अधिकतम वित्त पोषण राशि 10 करोड़ रुपये है।
- DRDO समय-समय पर समीक्षा और आकलन के माध्यम से वित्त पोषित परियोजनाओं की प्रगति की बारीकी से निगरानी करता है।
- किसी परियोजना में अकादमिक की भागीदारी कुल परियोजना लागत के 40% से अधिक नहीं हो सकती।
लाभ
- TDF योजना स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास का समर्थन करके आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती है।
- रक्षा क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहित करना आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में योगदान देता है।
- उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों का विकास देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा तैयारियों को बढ़ाता है।
- यह योजना विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाकर रक्षा क्षेत्र में एक मजबूत नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में मदद करती है।
चुनौतियाँ
- संभावित लाभार्थियों में, विशेष रूप से MSME और स्टार्टअप के बीच TDF योजना के बारे में सीमित जागरूकता है।
- आवेदन प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली है, जो छोटी कंपनियों को आवेदन करने से रोक सकती है।
- तकनीकी जटिलताओं और संसाधन की कमी के कारण समय पर निष्पादन और परियोजनाओं का सफल समापन सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
परिणाम :
- अब तक, 300 करोड़ रुपये से अधिक की प्रतिबद्धता के साथ कुल 77 परियोजनाएं विभिन्न उद्योगों को स्वीकृत की गई हैं,और इस योजना के तहत 27 रक्षा प्रौद्योगिकियों को सफलतापूर्वक साकार किया गया है।