पश्चिमी घाट में लैबियो उरु और लैबियो चेकिडा की खोज |
चर्चा में क्यों :
- 2025 में, आईसीएआर-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (ICAR-NBFGR) के वैज्ञानिकों ने भारत के पश्चिमी घाट क्षेत्र में मीठे पानी की दो नई रोहू मछली प्रजातियाँ लैबियो उरु और लैबियो चेकिडा खोजी गई हैं।
1. लैबियो उरु (Labeo uru)
- लैबियो उरु की खोज केरल में स्थित चंद्रगिरि नदी में की गई है, जो पश्चिमी घाट क्षेत्र का हिस्सा है।
मुख्य विशेषता
- लैबियो उरु की सबसे विशेष पहचान इसका पाल जैसी आकृति वाला पृष्ठीय पंख (Sail-like Dorsal Fin) है, जो मलयालम में ‘उरु’ नाव की तरह दिखता है।
- लैबियो उरु का शरीर मध्यम आकार का होता है और इसका लंबा पृष्ठीय पंख इसे एक नाव जैसी विशिष्ट आकृति प्रदान करता है। इसका रंग और शरीर संरचना इसे अन्य मीठे पानी की मछलियों से अलग बनाती है।
2. लैबियो चेकिडा (Labeo chekida)
- लैबियो चेकिडा की खोज केरल की चालाकुडी नदी में की गई है, जो पश्चिमी घाट का ही हिस्सा है।
मुख्य विशेषताएँ
- इस प्रजाति को स्थानीय स्तर पर ‘काका चेकिडा’ के नाम से जाना जाता है। (यहाँ ‘काका’ शब्द मलयालम भाषा में कौवे के लिए प्रयुक्त होता है, जो इसके गहरे रंग की ओर इशारा करता है।)
- लैबियो चेकिडा की पहचान इसके गहरे रंग और छोटे आकार से होती है। इसकी कॉम्पैक्ट बनावट और गहरे रंग की त्वचा इसे अन्य प्रजातियों से विशिष्ट बनाती है।
खोज का महत्व
- यह खोज पारिस्थितिकीय अध्ययन और संरक्षण रणनीतियों में नए आयाम जोड़ती है।
- इस खोज ने लैबियो निग्रेसेंस (1870 में वर्णित) से जुड़ी पुरानी वर्गीकरण संबंधी उलझनों को स्पष्ट कर दिया है।
- यह पश्चिमी घाट की नाजुक नदी पारिस्थितिकी प्रणालियों पर संरक्षण प्रयासों की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती है, जो बांध निर्माण, आवास क्षति, और जलवायु परिवर्तन के कारण खतरे में हैं।
रोहू प्रजाति के बारे में
- रोहू मछली का शरीर गहरा होता है, जिसकी पीठ धनुषाकार होती है और शरीर पर चांदी जैसे चमकीले तराजू (स्केल्स) होते हैं।
- यह प्राकृतिक परिस्थितियों में लगभग 2 मीटर लंबाई तक बढ़ सकती है और इसका वजन 40 किलोग्राम से अधिक हो सकता है।
- रोहू एक शाकाहारी मछली है, जो मुख्य रूप से फाइटोप्लांकटन (सूक्ष्म पादप जीवों) और सड़ती हुई वनस्पतियों पर निर्भर रहती है।
- यह प्रजाति सामान्यतः मानसून के मौसम में नदियों में बाढ़ आने पर अंडे देती है, जिसे उसकी स्पॉनिंग अवधि कहा जाता है।
- जलीय कृषि के क्षेत्र में रोहू का महत्वपूर्ण स्थान है।
- यह भारत की तीन प्रमुख कार्प मछलियों में से एक है, जिसकी बड़े पैमाने पर खेती की जाती है।
- आर्थिक दृष्टि से भी रोहू अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अंतर्देशीय मत्स्य पालन और ग्रामीण आजीविका का एक बड़ा सहारा प्रदान करती है।