कच्चाथीवू द्वीप |
चर्चा में क्यों:-
- 2 अप्रैल 2025 को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने विधानसभा में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पेश किया, जिसमें केंद्र सरकार से कच्चाथीवू द्वीप को श्रीलंका से पुनः प्राप्त करने की मांग की गई।
अन्य प्रमुख मांगें:
- 1974 समझौते की समीक्षा की जाए।
- कच्चाथीवू को वापस लिया जाए।
- 2024 में गिरफ्तार 530 मछुआरों और उनकी नावों को रिहा किया जाए।
- तमिलनाडु के मछुआरों की आजीविका की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
कहां स्थित है कच्चाथीवू द्वीप ?
- स्थान : कच्चाथीवू एक निर्जन द्वीप है जो भारत के तमिलनाडु में रामेश्वरम से लगभग 17.5 किमी दक्षिण पश्चिम में और श्रीलंका में मन्नार द्वीप से लगभग 15.5 किमी पूर्व में पाक जलडमरूमध्य में स्थित है।
- स्थिति:यह द्वीप भारतीय उपमहाद्वीप के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित है।
- क्षेत्रफल: यह द्वीप लगभग 285 एकड़ (1.15 वर्ग किलोमीटर) क्षेत्र में फैला है।
- भू-राजनीतिक महत्व:- पाक जलडमरूमध्य में अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण, यह भारत और श्रीलंका के बीच विवाद का विषय रहा है।
- जैव विविधता:- कच्चाथीवू द्वीप एक प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्र है जिसका मुख्य ध्येय जैव विविधता का संरक्षण है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
द्वीप का इतिहास क्या है?
- 14वीं शताब्दी के ज्वालामुखी विस्फोट से उत्पन्न, कच्चाथीवू रामनाद राजा के राज्य के नियंत्रण में था, जो रामनाथपुरम (अब तमिलनाडु का एक शहर) में स्थित था।
- रामनाथपुरम रियासत (या रामनाद) की स्थापना 1605 में मदुरै के नायक राजवंश द्वारा की गई थी।
- इसमें 69 तटीय गाँव और 11 टापू शामिल थे, जिनमें कच्चाथीवू भी शामिल था।
- 1622-1635 में रामनाथपुरम के शासक कुथन सेतुपति द्वारा जारी तांबे की पट्टिका में कच्चाथीवू सहित थलाईमन्नार तक के क्षेत्र को भारतीय स्वामित्व और राजस्व स्रोत बताया गया।
- 1902 से पहले रामनाद या रामनाथपुरम साम्राज्य का इस द्वीप पर शासन था।
- 1902 में अंग्रेजों ने इस द्वीप को कब्जे में लेकर इसे पट्टे पर रामनाथपुरम साम्राज्य को दे दिया।
- 1913: द्वीप को लेकर भारत सरकार के सचिव और रामनाथपुरम के राजा के बीच एक और समझौता हुआ।
1964 समझौता: –
- 1964 में, भारत और श्रीलंका के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे भारतीय मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए कच्चाथीवू के आसपास के पानी का शांतिपूर्वक उपयोग करने की अनुमति मिल गई।
1974 समझौता:-
- 28 जून 1974 में, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान, भारत ने एक समझौते के माध्यम से कच्चाथीवू का नियंत्रण श्रीलंका को सौंप दिया।
कच्चाथीवू पर तमिलनाडु की स्थिति क्या है?
- यह द्वीप तमिलनाडु विधानसभा से सलाह किए बिना श्रीलंका को दिया गया।
- 1991 में श्रीलंकाई गृहयुद्ध में भारत के दखल के बाद कच्चाथीवू को दोबारा वापस लेने की मांग उठी थी।
- 2008 में तत्कालीन नेता जे. जयललिता ने कोर्ट में अर्जी दी थी, और कहा कि संवैधानिक संशोधन के बिना कच्चाथीवू को किसी अन्य देश को नहीं सौंपा जा सकता।
- 2023: एम.के. स्टालिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने PM मोदी को पत्र लिखकर इस द्वीप को वापस लेने की मांग की है।
- 2024: तमिलनाडु BJP प्रमुख अन्नामलाई ने RTI से जानकारी निकाली।
- 2025: TN विधानसभा ने प्रस्ताव पारित किया।
विवाद और मुद्दे
- 1974 में भारत-श्रीलंका समझौते के तहत भारत ने कच्चाथीवू द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया, लेकिन इसके लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 और 3 के तहत आवश्यक संवैधानिक संशोधन नहीं किया गया, जो बेरूबाड़ी मामले (1960) में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पष्ट किया गया था।
- द्वीप पर स्थित सेंट एंथनी चर्च, जो एक धार्मिक तीर्थ स्थल है, अब वहां भारतीय मछुआरों और श्रद्धालुओं की पहुंच पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
- तमिलनाडु के मछुआरों के पारंपरिक मछली पकड़ने के अधिकारों को छीन लिया है, जो वे पीढ़ियों से कच्चाथीवू के आस-पास के जलक्षेत्र में प्रयोग करते आ रहे थे।
पाक खाड़ी
महत्वपूर्ण द्वीप:
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