लॉन्ग-रेंज ग्लाइड बम (LRGB) ‘Gaurav’ |
चर्चा में क्यों :
- भारत ने भारतीय वायुसेना के Su-30 MK-I फाइटर जेट से स्वदेशी लॉन्ग-रेंज ग्लाइड बम (LRGB) ‘गौरव‘ का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किया है।
लॉन्ग-रेंज ग्लाइड बम (LRGB) क्या है?
- लॉन्ग-रेंज ग्लाइड बम (LRGB) हवा से सतह पर मार करने वाला बम है जो लंबी दूरी पर स्थित लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है।
- ‘गौरव‘ स्वदेशी रूप से विकसित 1,000 किलोग्राम वर्ग का ग्लाइड बम है।
- इसे विशेष रूप से दुश्मन की हवाई पट्टियों, बंकरों, हार्ड इंस्टॉलेशन और इमारतों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
परीक्षण कब किया
- DRDO ने 14 अगस्त, 2024 को ‘गौरव’ का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
- इसे भारतीय वायु सेना (IAF) के Su-30 MK-I फाइटर जेट से लॉन्च किया गया।
- यह परीक्षण ओडिशा के तट पर किया गया, जिसमें बम ने लॉन्ग व्हीलर द्वीप पर अपने लक्ष्य को बिल्कुल सटीकता से मारा।
यह क्यों महत्वपूर्ण है?
- यह बम भारत की सटीक हमला करने की क्षमताओं को बढ़ाता है, जिससे यह विमान को उच्च जोखिम में डाले बिना महत्वपूर्ण दुश्मन के ठिकानों को निशाना बना सकता है।
- सफल परीक्षण रक्षा प्रौद्योगिकी में भारत की उन्नति को दर्शाता है।
विकास:
- DRDO के तहत हैदराबाद स्थित रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया।
- अडानी डिफेंस और भारत फोर्ज ने विकास-सह-उत्पादन भागीदारों के रूप में भाग लिया।
मुख्य विशेषताएं:
- रेंज: 100 किलोमीटर दूर टारगेट को भेदने में सक्षम है।
- इसका इस्तेमाल सुखोई Su-30 MK-I फाइटर जेट के साथ किया जा सकता है।
- उन ठिकानों को भेदने में सक्षम है जो एंटी- एयरक्राफ्ट डिफेंस की रेंज के बाहर हैं।
- सटीकता: यह हाइब्रिड नेविगेशन सिस्टम का उपयोग करता है, जो इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) को ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) डेटा के साथ जोड़ता है, जिससे अत्यधिक सटीक लक्ष्यीकरण सुनिश्चित होता है।
- वारहेड: LRGB में पारंपरिक वारहेड होते हैं, जिन्हें विशेष रूप से लड़ाकू विमानों के साथ एकीकृत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- टेलीमेट्री डेटा: परीक्षण के दौरान पूरा उड़ान डेटा एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) द्वारा समुद्र तट के साथ तैनात टेलीमेट्री और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम द्वारा कैप्चर किया गया था।
महत्व:
- भारत की सटीक हमला करने की क्षमता को बढ़ाता है, जिससे भारतीय वायु सेना कम जोखिम के साथ दुश्मन के ठिकानों, हवाई पट्टियों और बंकरों जैसे लंबी दूरी के लक्ष्यों को भेदने में सक्षम हो जाती है।
- भारत के स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी विकास में एक प्रमुख प्रयास है, जो सैन्य प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता को बढ़ाता है।
- अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों के विकास में DRDO की उन्नत अनुसंधान एवं विकास क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।
- आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत भारत के स्वदेशी रक्षा उत्पादन को मजबूत करता है और आत्मनिर्भरता को बढ़ाता है।