यूफेया वेयानाडेन्सिस |
चर्चा में क्यों?
- यूफेया वेनाडेन्सिस नामक डैमसेल्फ़ाई की एक नई प्रजाति केरल के वायनाड क्षेत्र में खोजी गई है, जो पश्चिमी घाट का हिस्सा है।
- यह प्रजाति केरल की 191वीं प्रलेखित ओडोनेट प्रजाति तथा पश्चिमी घाट की 223वीं प्रजाति बन गई है।
डैमसेल्फ़ाई क्या होती है?
- डैमसेल्फ़ाई ओडोनेटा गण (Order: Odonata) और ज़ाइगोप्टेरा उपगण से संबंधित उड़ने वाले कीट हैं।
- ये ड्रैगनफ़्लाई से बहुत मिलते-जुलते हैं, लेकिन आम तौर पर छोटे, ज़्यादा नाज़ुक होते हैं और आराम करते समय अपने पंखों को एक साथ रखते हैं।
- डैमसेल्फ़ाई और ड्रैगनफ़्लाई को सामूहिक रूप से ओडोनेट्स कहा जाता है, जो सबसे पुरानी कीट वंशों में से एक है, जिसके जीवाश्म रिकॉर्ड 300 मिलियन साल से भी पुराने हैं।
यूफेया वेयानाडेन्सिस
- यह प्रजाति Euphaeidae परिवार से संबंधित है, जो ब्रॉड-विंग्ड डैमसेल्फ़ाई के लिए जाना जाता है, और यह Odonata गण व Zygoptera उपगण में आती है।
- इस प्रजाति को पहली बार 2013 में वायनाड जिले के थिरुनेल्ली क्षेत्र की कालिंदी नदी में देखा गया था।
- 2013–2019 की अवधि में वायनाड में इस डैमसेल्फ़ाई की कई उपस्थितियाँ दर्ज की गईं, तथा 2019 से 2023 तक अरालम और कूर्ग की पश्चिमी घाटी में भी यह प्रजाति देखी गई।
- प्रजाति की पहचान के लिए एकीकृत वर्गीकरण पद्धति का प्रयोग किया गया, जिसमें आकारिकी विश्लेषण और डीएनए अनुक्रमण (Genetic Sequencing) दोनों शामिल थे।
प्रमुख शारीरिक विशेषताएँ
- पिछले पंखों पर काले धब्बे होते हैं जो संबंधित प्रजातियों की तुलना में अधिक लंबे होते हैं।
- नर डैमसेल्फ़ाई की छाती पर ह्यूमरल और एंटिह्यूमरल धारियाँ मोटी धारियाँ होती हैं।
- नर की जनन थैली की बनावट अन्य निकटवर्ती प्रजातियों से भिन्न और विशिष्ट रूप में पाई जाती है।
आवास और वितरण
- यूफेया वेयानाडेन्सिस का वितरण अत्यंत सीमित और स्थानीय है।
- यह अब तक केवल केरल के वायनाड और कन्नूर तथा कर्नाटक के कूर्ग क्षेत्र में पाई गई है। अतः यह एक स्थानिक प्रजाति (Endemic species) मानी जाती है।
- इसकी उपस्थिति केवल साफ़, ऑक्सीजन युक्त पहाड़ी जल स्रोतों तक सीमित है, इसलिए यह आवास क्षरण, वनों की कटाई, जल प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है।
- यह वर्षभर सक्रिय रहती है, लेकिन मार्च और अप्रैल की गर्म और शुष्क अवधि में दिखाई नहीं देती।
संरक्षणीय महत्त्व
- IUCN ड्रैगनफ्लाई विशेषज्ञ समूह के सदस्य डॉ. कलेश सदाशिवन ने इस बात पर जोर दिया कि:
- इस प्रजाति की सीमित सीमा और निवास स्थान की विशिष्टता इसे पर्यावरणीय परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील बनाती है।
- वायनाड और पश्चिमी घाट जैसे पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्रों में लक्षित जैव विविधता सर्वेक्षण और निवास स्थान संरक्षण उपायों का आग्रह किया।
- वायनाड जैसे जैव विविधता समृद्ध क्षेत्रों में जलीय अकशेरुकी जीवों के संरक्षण की तत्काल आवश्यकता है।