भारत का पहला संविधान संग्रहालय |
चर्चा में क्यों:- सोनीपत में ओ पी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में देश के पहले संविधान संग्रहालय का उद्घाटन किया गया।
UPSC पाठ्यक्रम: प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की समसामयिक घटनाएँ मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन–II: भारत का संविधान – ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना। |
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएँ:
भारतीय संविधान विश्व के सबसे विस्तृत और अद्वितीय संविधानों में से एक है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. सबसे लंबा लिखित संविधान
- भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है।
- मूल रूप से इसमें 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 8 अनुसूचियाँ थीं।
- 2024 तक, संशोधनों के बाद, इसमें 470 से अधिक अनुच्छेद, 25 भाग और 12 अनुसूचियाँ शामिल हैं।
2. विभिन्न स्रोतों से प्राप्त प्रावधान
- ब्रिटिश संविधान: संसदीय प्रणाली, विधि का शासन।
- अमेरिकी संविधान: मौलिक अधिकार, न्यायिक समीक्षा।
- आयरिश संविधान: राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत।
- कनाडाई संविधान: मजबूत केंद्र के साथ संघीय ढाँचा।
3. कठोरता और लचीलेपन का मिश्रण
- संविधान संशोधन की प्रक्रिया में कठोरता और लचीलेपन का संतुलन है।
- कुछ प्रावधान साधारण बहुमत से संशोधित किए जा सकते हैं, जबकि अन्य के लिए विशेष बहुमत और राज्यों की सहमति आवश्यक है।
4. संघात्मकता और एकात्मकता का मिश्रण
- संघीय विशेषताएँ: द्वैध शासन प्रणाली, शक्तियों का विभाजन।
- एकात्मक विशेषताएँ: मजबूत केंद्र, एकल नागरिकता।
5. संसदीय शासन प्रणाली
- ब्रिटिश मॉडल पर आधारित संसदीय प्रणाली, जहाँ कार्यपालिका विधायिका के प्रति उत्तरदायी है।
- प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद वास्तविक कार्यपालिका हैं।
6. मौलिक अधिकार
- समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
- संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
7. राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत
- आयरिश संविधान से प्रेरित ये सिद्धांत सरकार को सामाजिक और आर्थिक नीतियों के मार्गदर्शन के लिए निर्देशित करते हैं।
8. एकल नागरिकता
- संविधान भारत में एकल नागरिकता की व्यवस्था करता है, जिससे सभी नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य समान होते हैं।
9. स्वतंत्र और एकीकृत न्यायपालिका
- सर्वोच्च न्यायालय के नेतृत्व में स्वतंत्र न्यायपालिका, जो संविधान और मौलिक अधिकारों की संरक्षक है।
10. आपातकालीन प्रावधान
- संविधान में राष्ट्रीय, राज्य और वित्तीय आपातकाल की स्थिति में विशेष प्रावधान हैं, जो केंद्र को विस्तारित शक्तियाँ प्रदान करते हैं।
भारतीय संविधान के स्रोत:
भारतीय संविधान विश्व के विभिन्न संविधानों से प्रेरणा लेकर तैयार किया गया है। इसके निर्माण में कई देशों के संवैधानिक प्रावधानों को अपनाया गया, जिससे यह एक समृद्ध और व्यापक दस्तावेज़ बना। 2024 तक, संविधान में 105 संशोधन हो चुके हैं, जो इसकी विकासशील प्रकृति को दर्शाते हैं।
प्रमुख स्रोत और उनके योगदान
1. भारत सरकार अधिनियम, 1935
- संघीय ढाँचा: केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन।
- आपातकालीन प्रावधान: आपातकाल की स्थिति में विशेष शक्तियाँ।
- न्यायपालिका का ढाँचा: न्यायिक प्रणाली की संरचना।
2. ब्रिटिश संविधान
- संसदीय प्रणाली: प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद।
- कानून का शासन: सभी के लिए समान कानून।
- एकल नागरिकता: पूरे देश के लिए एक नागरिकता।
3. अमेरिकी संविधान
- मौलिक अधिकार: नागरिकों के बुनियादी अधिकार।
- न्यायिक समीक्षा: न्यायपालिका द्वारा कानूनों की संवैधानिकता की जाँच।
- उपराष्ट्रपति का पद: राष्ट्रपति के बाद दूसरा सर्वोच्च पद।
4. आयरिश संविधान
- राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत: सरकार के लिए सामाजिक और आर्थिक नीतियों के मार्गदर्शक सिद्धांत।
- राष्ट्रपति की निर्वाचन प्रक्रिया: राष्ट्रपति के चुनाव की विधि।
5. कनाडाई संविधान
- मजबूत केंद्र के साथ संघीय ढाँचा: केंद्र सरकार की प्रमुखता।
- अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र में निहित: अनिर्दिष्ट शक्तियाँ केंद्र के पास।
6. ऑस्ट्रेलियाई संविधान
- समवर्ती सूची: केंद्र और राज्यों के बीच साझा विषयों की सूची।
- संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक: विधेयकों पर मतभेद की स्थिति में संयुक्त सत्र।
7. फ्रांसीसी संविधान
- स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व: प्रस्तावना में ये आदर्श शामिल।
8. जर्मन संविधान
- आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का निलंबन: आपातकाल में अधिकारों का स्थगन।
9. सोवियत संघ का संविधान
- मौलिक कर्तव्य: नागरिकों के लिए कर्तव्यों का उल्लेख।
10. दक्षिण अफ्रीकी संविधान
- संविधान संशोधन की प्रक्रिया: संविधान में संशोधन की विधि।
भारतीय संविधान की आलोचनाएँ:
भारतीय संविधान, अपनी व्यापकता और विविधता के बावजूद, समय-समय पर विभिन्न आलोचनाओं का सामना करता रहा है।
1. अत्यधिक विस्तृत और जटिल
- भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जिसमें 470 से अधिक अनुच्छेद और 12 अनुसूचियाँ शामिल हैं।
- इसकी विस्तृत प्रकृति के कारण इसे समझना और लागू करना चुनौतीपूर्ण माना जाता है।
- कुछ आलोचकों का मानना है कि इसकी जटिलता आम नागरिकों के लिए इसे समझने में बाधा उत्पन्न करती है।
2. विदेशी संविधानों की नकल
- आलोचकों का तर्क है कि भारतीय संविधान में विभिन्न विदेशी संविधानों से प्रावधान अपनाए गए हैं, जिससे यह “भानुमती का पिटारा” बन गया है।
- इस मिश्रण के कारण संविधान में विरोधाभासी तत्व पाए जाते हैं, जैसे कि संघात्मक होते हुए भी एकात्मक विशेषताएँ।
3. कठोरता और लचीलेपन का असंतुलन
- संविधान संशोधन की प्रक्रिया में कठोरता और लचीलेपन का मिश्रण है।
- कुछ प्रावधान साधारण बहुमत से संशोधित किए जा सकते हैं, जबकि अन्य के लिए विशेष बहुमत और राज्यों की सहमति आवश्यक है।
- यह असंतुलन संविधान में स्थिरता और परिवर्तनशीलता के बीच संतुलन स्थापित करने में कठिनाई उत्पन्न करता है।
4. वकीलों का स्वर्ग
- कुछ आलोचकों का मानना है कि भारतीय संविधान की भाषा और शब्दावली गूढ़, अस्पष्ट और चातुर्यपूर्ण है, जिससे यह वकीलों के लिए लाभदायक बनता है।
- साधारण जनता के लिए इसे समझना कठिन होता है, जिससे उन्हें कानूनी सहायता की आवश्यकता पड़ती है।
5. अस्पष्टता और विरोधाभास
- संविधान के कुछ प्रावधानों में अस्पष्टता और विरोधाभास पाए जाते हैं, जिससे न्यायालयों में विभिन्न व्याख्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- यह स्थिति न्यायिक सक्रियता और विधायिका के बीच तनाव का कारण बनती है।
6. सामाजिक न्याय की अपर्याप्तता
- हालांकि संविधान में सामाजिक न्याय के सिद्धांत शामिल हैं, लेकिन कुछ आलोचकों का मानना है कि यह समाज के वंचित वर्गों के लिए पर्याप्त अवसर और सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहा है।
- विशेषकर अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के संदर्भ में यह आलोचना की जाती है।
स्रोत - इंडियन एक्सप्रेस