- आदिवासी परिवारों के लिए बेहतर और सतत् रोजगार, ढांचागत खामियों को खत्म करने, शिक्षा और स्वास्थ्य की गुणवत्ता में सुधार और आदिवासी क्षेत्रों में जीवन में सुधार पर विशेष ध्यान देने का प्रस्ताव है।
- यह योजना आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों के एक-एक प्रखंड में पायलट आधार पर शुरू की गई है।
- इस योजना के तहत केंद्र, आदिवासियों के लिए विभिन्न सुविधाओं के विकास हेतु प्रत्येक प्रखंड को 10 करोड़ रुपए प्रदान करेगा। - इन प्रखंडों का चयन संबंद्ध राज्यों की सिफारिशों पर किया गया है और इनमें शिक्षा दर बहुत कम है।
- अनुसूची 5 क्षेत्र में करीब 350 प्रखंड है जहां कुल जनसंख्या की तुलना में जनजातीय लोगों की जनसंख्या 50 प्रतिशत या अधिक है। गत दिनों में कई प्रयास किए जाने के बावजूद मानव विकास संकेतक (एचडीआई) के अनुसार इन प्रखंडों में कई प्रकार की कमियां हैं।
- वीकेवाई के जरिए इन प्रखंडों को अगले पांच वर्ष की अवधि में सतत विकास मिशन के लिए बेहतर बुनियादी ढांचा सुविधा प्रदान कर मॉडल प्रखंड के रूप में विकसित किया जाना है।
उद्देश्य:- - जनजातीय लोगों के सम्पूर्ण विकास के लिए वातावरण तैयार करना है, जिसमें सतत् रोजगार सुनिश्चित करना, बेहतर और उच्च शिक्षा पर जोर देना, जनजातीय क्षेत्रों के आर्थिक विकास में तेजी लाना, सबसे के लिए स्वास्थ्य, सबसे के लिए आवास, सबके घर पर पीने का पानी उपलब्ध कराना, क्षेत्र के अनुरूप सिंचाई सुविधाएं, हर मौसम के अनुरूप नजदीकी कस्बे/शहरों से सड़क सम्पर्क, हर समय बिजली की उपलब्धता, शहरी विकास, विकास को पटरी पर बनाये रखने के लिए संस्थागत प्रक्रिया, आदिवासी सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और उसे बढ़ावा देना तथा आदिवासी क्षेत्रों में खेलों को प्रोत्साहित करना शामिल है।
- यह योजना सुदृढ़ संस्थागत व्यवस्था के जरिये एक मिशन के तौर पर कार्यान्वित की जा रही है। निगरानी बढ़ाने और गतिविधियों को परिणाम उन्मुखी बनाने के लिए इन संस्थानों में उचित बुनियादी ढांचा और कर्मचारियों की पर्याप्त क्षमता उपलब्ध है।
- इस उद्देश्य के लिए प्रत्येक राज्य के आदिवासी कल्याण विभाग में एक परियोजना कार्यान्वयन प्रकोष्ठ स्थापित किया जाएगा, जिसमें 26 पेशेवर होंगे।